हरियाणा सरकार का फैसला: किसान आंदोलन में दर्ज हुए केस होंगे वापस

हरियाणा सरकार का फैसला: किसान आंदोलन में दर्ज हुए केस होंगे वापस

हरियाणा सरकार का फैसला: किसान आंदोलन में दर्ज हुए केस होंगे वापस

हरियाणा सरकार का फैसला: किसान आंदोलन में दर्ज हुए केस होंगे वापस

सीएम की घोषणा के बाद गृहसचिव ने सभी जिलों से मांगी रिपोर्ट

प्रदेश में दर्ज हुई है 276 एफआईआर

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लेने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री द्वारा दो दिन पहले विधानसभा में घोषणा किए जाने के बाद शुक्रवार को गृह सचिव ने सभी जिला उपायुक्तों के माध्यम से पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांग ली है। किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा में कुल 276 मामले दर्ज किए गए थे।
केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून लागू किए जाने के बाद पिछले साल नवंबर माह के दौरान किसान आंदोलन शुरू हुआ था। इस आंदोलन का केंद्र हरियाणा ही रहा है। पंजाब तथा अन्य राज्यों से आने वाले किसान हरियाणा के रास्ते से होते हुए दिल्ली के सिंघु व टीकरी बार्डर पर पहुंचे। इस दौरान कई बार किसानों तथा पुलिस के बीच झड़पें भी हुई हैं। जिसके चलते हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद, जींद, कुरूक्षेत्र, सोनीपत आदि जिलों में किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
अब केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं और किसान अपने-अपने घरों को लौट चुके हैं। केंद्र के साथ आंदोलन समाप्त करने के समय बनी सहमति के आधार पर राज्य सरकार ने आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज हुए केस वापस लेने शुरू कर दिए हैं।
हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान कुल 276 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से चार केस अति गंभीर प्रवृत्ति के हैं। 272 केस में से 178 केसों में चार्जशीट तैयार हो चुकी है। 158 केस अभी तक अनटे्रस हैं। आठ केसों में सरकार द्वारा पहले ही कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है। जिनमें से चार केंसों की रिपोर्ट फाइल भी हो चुकी है। 29 केस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
  गृह सचिव ने शुक्रवार को हरियाणा के सभी जिला मैजिस्ट्रेट के नाम जारी पत्र में कहा है कि वह अपने-अपने जिला में 9 सितंबर 2020 से लेकर आजतक किसानों के खिलाफ दर्ज हुए केसों की स्टेटस रिपोर्ट दें। इस पत्र में किसानों के खिलाफ दर्ज हुए केसों, वर्तमान में केस किस स्टेज पर है, क्या किसी केस को दर्ज करने के लिए विशेष सिफारिश हुई है। इसके अलावा पत्र में यह भी पूछा गया है कि दर्ज केसों को जनहित में वापस लिया जाना है। इसके लिए भी जिलों से कानूनी राय, जिला अर्टानी की रिपोर्ट तथा पुलिस अधीक्षक की सिफारिशों को भी साथ भेजा जाए।

किसानों की मौत के आंकड़ों पर विरोधाभास
हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मौत को लेकर अभी भी विरोधाभास बना हुआ है। किसान संगठनों के दबाव के चलते सरकार मृतक किसानों के आश्रितों को मुआवजा देने की तैयारी कर रही है लेकिन मृतकों की संख्या और मौत के कारणों को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। सीआईडी की रिपोर्ट के मुताबित आंदोलन के दौरान 46 किसानों का पोस्टमार्टम हुआ है। किसान संगठनों ने सरकार के साथ हुई बैठकों में हरियाणा के 73 किसानों की मौत हुई है। ऐसे में सरकार ने किसानों की मौत को लेकर भी रिपोर्ट मांग ली है। इस रिपोर्ट के बाद किसान संगठनों के साथ बातचीत की जाएगी। उसके बाद ही मृतक किसानों के आश्रितों को मुआवजा देने के लिए नीति तैयार होगी।